191217 विचार & अभ्यास -पहले साधक बने, फिर साधना से आनंद खोजे
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Descripción
साधना , साधक, साध्य और सिद्ध, ये चार शब्द , भारतीय परंपरा के मूल हैं ी हम सब साधना को जानने का अथक प्रयास करते हैं परन्तु साधक होने पर न तो ध्यान देते हैं न ही साधक बनाने का प्रयास. इसी कारण हमें विफलता हाथ लगाती हे
हमे पूर्व गुरुओ ने प्रारम्भ में इस बात पर बल दिया हे की हम साधक कैसे बने , साधना क्या हे और साध्य अर्थात हमारा उद्देस्य क्या हे.
सबसे पहले ज्ञान हे , ज्ञान विचार के द्वारा समझना होता हे I विचार सिद्धांतो के अनुसार करना होता हे, जिससे हमारा मन एक दिशा में चलने लगे.
१. प्रतिदिन जीवन में साधना
२. साधना का मूल - चार अनुबंध
३. व्यक्ति से साधक होना
४. साधक बनकर साधना को समझना
और कई विस्यओ पर यह सीरीज आधारित हे .
मुलत यह सीरीज हमारे विज्ञानं की एक सरल और आधुनिक व्याख्या हे , जिससे प्रत्येक व्यक्ति और साधक को साधना में सफलता मिल सकती हे.
गिरीशझा साधनाकरे आनंदकीप्राप्ति आनंदकीऔर मेंआनंदहूँ ज्ञानकीऔर www.girishjha.org GirishJha EasternWisdom BeInPeace InnerHappiness
Información
Autor | Girish Jha, Coach & Mentor |
Organización | Girish Jha, MS -Eastern Wisdom |
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